अंधकार भरे समय में प्रकाश स्तंभ है श्रीमाँ का जीवन और कर्म – अरविंद पंत 

ज्योर्तिमठ। श्रीअरविन्द अध्ययन केंद्र ज्योतिर्मठ से जुड़े साधकों और सदस्यों ने आध्यात्मिक विभूति श्रीमाँ के 147वें जन्मदिन पर उन्हें अपना कृतज्ञता प्रणाम किया और उनके जीवन और आध्यात्मिक आलोक को धर्मनगरी ज्योतिर्मठ में जीने का संकल्प लिया। सिंग्धार स्थित पूर्व प्रधानाचार्य और केंद्र के सदस्य रणजीत सिंह चौहान और सुलेखा चौहान के घर पर आयोजित जन्मोत्सव कार्यक्रम में केंद्र से जुड़े साधकों ने अपने अपने अनुभव साझा किये।

केंद्र अध्यक्ष अरविंद पंत और सचिव ओमप्रकाश डोभाल ने दीप प्रज्वलित करके माताजी का स्मरण किया। केंद्र के युवा समन्वयक और रसायन विज्ञान के प्रवक्ता कैलाश भट्ट ने माताजी की जीवन यात्रा का सुंदर परिचय प्रस्तुत किया। संयुक्त सचिव महावीर सिंह फर्स्वाण ‘श्रद्धालु’ ने मातृ वाणी का पाठ किया। केंद्र के संस्थापक सदस्य डॉ. चरणसिंह केदारखंडी ने माताजी के जीवन और कर्म की मीमांसा की और कहा कि नित्य प्रति के जीवन की मूलभूत बातों पर माताजी का मार्गदर्शन बहुत उपयोगी है। कवयित्री विनीता भट्ट सिलोड़ी ने श्रीमाँ पर अपनी नवीनतम कविता का पाठ करके मंत्रमुग्ध कर दिया। चर्चित कवि और केंद्र से जुड़े साहित्यकार डॉ. भगत सिंह राणा ‘हिमाद’ ने देवभूमि उत्तराखंड पर अपनी कविता और उद्बोधन से सबको प्रेरित किया।

सुलेखा चौहान ने कहा कि श्रीमाँ से उन्होंने जीवन प्रबंधन के अनेक सबक सीखें हैं। शिक्षिका कमला भट्ट, अनीता उनियाल , ममता भट्ट ,मोनिका और मानवी रावत ने अपने अपने अनुभव सुनाकर विमर्श को उपयोगी बनाया। संगीत में गहरी रुचि रखने वाले शिक्षक देवी प्रसाद भट्ट और गौर सिंह खत्री ने कहा कि संस्कृत भाषा और साहित्य पर पॉन्डिचेरी में जो कार्य हो रहा है उसने श्री बद्रीनाथ वेद वेदाङ्ग संस्कृत महाविद्यालय ज्योतिर्मठ को बहुत प्रभावित किया है। समाजसेवी रमा वैष्णव ने कहा कि माताजी की वाणी में उन्हें विज्ञान और अध्यात्म का संतुलन दिखाई देता है। केंद्र के सचिव और चमोली जिला रेडक्रॉस सोसायटी के अध्यक्ष ओमप्रकाश डोभाल ने कहा कि अपने जीवन के प्रत्येक महत्वपूर्ण समय में उन्हें श्रीमाँ की शक्ति का सहारा मिला है। सामाजिक कार्यकर्ता और श्रीअरविन्द केंद्र के पूर्व सचिव द्रवेश्वर थपलियाल ने कहा कि भारत ने भौतिक विकास से अधिक मनुष्य के आध्यात्मिक विकास पर बल दिया है और वह हमेशा से ही पूरी दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र बिंदु रहा है। अध्यक्षीय उदबोधन में साधक और केंद्र के वर्तमान अध्यक्ष अरविंद पंत ने कहा कि श्रीमाँ का जीवन हम सबके लिए घटाटोप अंधकार में प्रकाश स्तंभ की तरह है । उन्होंने कहा कि जीवन के विभिन्न आयामों पर श्रीमाँ का मार्गदर्शन हमारे समय की बहुत बड़ी शक्ति बन सकता है । *केंद्र अध्यक्ष ने यह भी कहा कि श्रीअरविन्द सोसायटी ज्योतिर्मठ ने जिस तरह महान संत गुदड़ी बाबा के जीवन पर पुस्तक के रूप में उपयोगी दस्तावेज़ का प्रकाशन किया है उससे भी समाज में अच्छा सन्देश गया है ।अंत में ध्यान और मातृ स्मरण के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

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