चमोली। भारतीय सेना और ITBP ने मलारी और कैलाशपुर सीमांतवर्ती गांव के नागरिकों के लिए पार्वती कुंड की यादगार यात्रा की सुविधा प्रदान की, जो एक अत्यंत धार्मिक महत्व का स्थान है। इससे सदियों पुरानी परंपराओं, सामुदायिक संबंधों और सांस्कृतिक विरासत को मजबूती मिली है।
पार्वती कुंड हिमालय की गोद में स्थित बाराहोती स्थान, उत्तराखंड के चमोली जिले में लगभग 15,550 फिट की ऊँचाई पर स्थित एक सुंदर और पवित्र स्थल है जिसका धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अलग ही महत्व है। सुन्दर चारागाहों से घिरे इस स्थान का महत्व विभिन्न कारणों से है, जिनमें से प्रमुख हैं- इसकी प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक स्थल, पौराणिक मान्यताएं और यहाँ की समर्द्ध सांस्कृतिक विरासत। जहाँ बाराहोती की प्राकृतिक सुंदरता यहाँ आने वाले श्रृद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देती है वहीँ यहाँ की सुन्दर पर्वत श्रृंखलाएं, हरियाली व स्वच्छ जलवायु लोगों को आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती ने इस स्थान पर वर्षों निवास कर तप किया था। इसलिए यह स्थान भगवान् शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ माता पार्वती के नाम से बने पार्वती कुंड का विशेष धार्मिक महत्व है व इस कुंड का जल पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इसमें स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है। पार्वती कुंड यात्रा के दौरान श्रद्धालु सुंदर प्राकृतिक दृष्यों का आनंद लेते हुए यहाँ के मनोरम परिवेश में आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं। पार्वती कुंड हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह स्थल न केवल हमारे धार्मिक विश्वास का केन्द्र है बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक है। यहाँ के स्थानीय लोग विभिन्न पर्वों और त्यौंहारों के दौरान हर वर्ष मई से अक्टूबर माह में देवी-देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं। बाराहोती तक पहुँचने के लिए जोशीमठ से मलारी की दूरी लगभग 61 किलोमीटर और मलारी से बाराहोती तक की दूरी लगभग 44 किलोमीटर है। श्रद्धालुओं की यात्रा को सुगम और सुचारु करने हेतु इस इलाके के मलारी, कोसा, घमशाली, बम्पा, कैलाशपुर, फरकिया और नीति गाँव में अतिथिगृह/ होम स्टे मौजूद हैं जहाँ पर स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का अनुभव कर सकते हैं। इस पवित्र जगह की यात्रा करने हेतु श्रद्धालुओं को सिविल जिला प्रशासन से इनर लाइन परमिट लेने की जरुरत पडती है, जिसमें लगभग 15 से 20 दिन का समय लग जाता है। यह अनुमति उप जिला अधिकारी के द्वारा दी जाती है। इनर लाइन परमिट के लिए आधार कार्ड, पहचान पत्र और वाहनों का पंजीकरण प्रमाण पत्र आदि दस्तावेजों की जरुरत पडती है। साथ ही हर श्रद्धालु के पास शारीरिक रूप से स्वस्थ होने का मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र होना भी अनिवार्य है।