गौरक्षा के बिना हिन्दूराष्ट्र की बात करना व्यर्थ है – गोपालमणि जी महाराज

ज्योतिर्मठ। चातुर्मास्य व्रत के अन्तराल में ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य  स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के आदेशानुसार ज्योतिर्मठ में आजकल अनेक धार्मिक आयोजन सम्पन्न हो रहे हैं । जिसमें क्षेत्र की धार्मिक जनता को भारतीय संस्कृति के माहात्म्य से परिचित होने का सुन्दर अवसर प्राप्त हो रहा है ।

पंचदिवसीय धेनुमानस गौकथा से समापन अवसर पर उपस्थित विशाल जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कथा व्यास गौ-गंगा कृपाकांक्षी श्रीगोपालमणि जी महाराज ने कहा कि हम सच्चे अर्थ में हिन्दू तब माने जाएंगे जब हम गो के माहात्म्य से परिचित होंगे । सद्ग्रन्थों में कहा गया है *गोषु भक्तिर्दृढा यस्य स वै हिन्दु रिति स्मृतः* जिसकी गौमाता में भक्ति है , जो गौ के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दे वही हिन्दू है । उन्होने अपने उद्बोधन के समापन में सन्देश देते हुए पांच सूत्र देकर सबको गौ सेवा के लिए प्रेरित किया । साथ ही उन्होने कहा कि तीर्थ को बचाने की बात करने वाले लोगों को मन्दिरों कि सम्पत्ति पर हिन्दु जनता का अधिकार हो, सभी मन्दिरों से सरकारी हस्तक्षेप हटे इस बात के लिए आन्दोलन करना चाहिए ।

इस अवसर पर ज्योतिर्मठ के प्रभारी मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी और विष्णुप्रियानन्द ब्रह्मचारी का सान्निध्य सभी लोगों को प्राप्त हुआ । साथ ही कुशलानन्द बहुगुणा , शंकर सिंह रावत, महिमानन्द उनियाल, जगदीश उनियाल, अभिषेक बहुगुणा, प्रवीण नौटियाल, आशीष उनियाल, दिनेश सती, रुद्रप्रयाग गौधाम के संचालक शकुन्तला नौटियाल, सच्चिदानन्द नौटियाल, सुमन सेमवाल , आशीष सेमवाल, वैभव सकलानी, हिमांशु बहुगुणा, आदि उपस्थित रहे ।

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