शीतकालीन यात्रा के अंतिम पड़ाव भगवान बद्री विशाल की शीतकालीन पूजा स्थल नृसिंह मंदिर में शंकराचार्य ने किया दर्शन एवं पूजा पाठ।

ज्योर्तिमठ। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरा नंद महाराज अपनी शीतकालीन चारधाम यात्रा के क्रम में आज अपने आखरी पडाव भगवान बदरीविशाल जी की शीतकालीन पूजा स्थली नृसिंह मंदिर परिसर ज्योतिर्मठ पहुंचे । नृसिंह मंदिर पहुंचकर सबसे पहले वासुदेव मंदिर में नवदुर्गा माता के दर्शन किए। उसके बाद मालक्ष्मी  मंदिर में दर्शन कर नृसिंह मंदिर में भगवान नृसिंह के दर्शन एवं पूजा अर्चना की।

ज्योर्तिमठ नरसिंह मंदिर पहुंचने पर गुरुकुलम के छात्रों , महिलाओं एवं स्थानीय लोगों द्वारा पुष्प वर्षा कर शंकराचार्य जी का भव्य स्वागत किया गया।वहीं नृसिंह मंदिर प्रांगण में ही शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरा नंद महाराज जी ने पत्रकारों से एक प्रेस वार्ता की।  कहा कि चारों धामों की शीतकालीन यात्रा  करने  से श्रद्धालुओं को यात्रा का दुगुना फल की प्राप्ति होती है।

शीतकालीन यात्रा  कठिन जरूर है। लेकिन जिस यात्रा में कठिनाई हो उस यात्रा का फल अवश्य ही कई गुना बढ़ जाता  है।  कहा कि कहने की अपेक्षा करके दिखाना चाहिए  इस लिए हमने पहले यात्रा शुरू की और हमारे आचरण के द्वारा कहे गए वाक्य को पूरे देश और  उत्तराखंड सरकार ने भी स्वीकार किया ,जिससे हमे प्रसन्नता है।

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