वंदे मातरम भारत की आत्मा का संगीत– प्रोफेसर प्रीति कुमारी

ज्योतिर्मठ , 07 नवंबर 2025 कालजयी राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर आज राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय परिवार जोशीमठ ने पूरे जोश और उत्साह के साथ महाविद्यालय परिसर में एक कार्यक्रम आयोजित किया जिसका शुभारंभ वंदे मातरम के समवेत गायन से किया गया।

इस अवसर पर भारत की स्वाधीनता में इस ऐतिहासिक गीत के योगदान को याद करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर प्रीति कुमारी ने कहा कि आज ही के दिन 7 नवंबर 1875 को ऋषि बंकिमचंद्र चटोपाध्याय ने वंदे मातरम गीत की रचना की थी और उसे *बंगदर्शन* पत्रिका में प्रकाशित किया था। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम गीत ने भारत के स्वाधीनता संग्राम में देशभक्ति का ज्वार उत्पन्न करने में अभूतपूर्व भूमिका का निर्वहन किया और इस दृष्टि से यह गीत भारत की आत्मा का स्वर है। डॉ. चरणसिंह केदारखंडी ने कहा कि वंदे मातरम का हिंदी और अंग्रेजी में सबसे सुबोध, सरल और सरस अनुवाद महर्षि श्रीअरविन्द ने किया है। श्रीअरविन्द ने ‘बंदे मातरम’ नाम से 1906-08 तक एक पत्रिका का संपादन भी किया जिसके द्वारा उन्होंने राष्ट्र की मातृ स्वरूप में आराधना के विचार की विवेचना करके ऋषि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के इस मंत्र को पूरे भारत में एक नई पहचान दी। इस अवसर पर छात्र संघ के पदाधिकारियों सहित दर्जनों विद्यार्थी , प्राध्यापक और कर्मचारी उपस्थित रहे।

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