ज्योतिर्मठ। ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ‘1008’ महाराज ने कहा कि जगद्गुरु जगत का गुरु है या नहीं यानि पूरा जगत उसे गुरु मानता है या नहीं लेकिन यदि वह जगत की वास्तविकता आपको बता सकता है तो वही जगतगुरु है।
ज्योतिर्मठ में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए पूज्यपाद शंकराचार्य जी ने कहा कि यह सुधा ज्ञान रूपी सुधा है। धन रूपी धन व ज्ञान रूपी धन दोनों में अंतर है। धन खर्च करने से एक न एक दिन खत्म हो जाता है, लेकिन ज्ञान रूपी धन यदि खर्च नहीं करोगे तो खत्म हो जाएगा। उसे जितना खर्च करोगे उतना बढ़ता जाता है। है ज्ञान की देवी सरस्वती आपका खजाना जितना खर्च करो उतना बढ़ता जाता है। नदी यदि अपने पानी को बहने न दे और एक ही जगह इकट्ठा कर के रखे तो वह नदी नहीं तालाब बन जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि उपनिषद् को सुनने से कुछ नहीं होगा ऐसा नही सोचना चाहिए, उसका अर्थ जानना जरूरी है। भगवान शंकराचार्य जी ने अनेक उपनिषदों पर भाष्य किया है। हमें किसकी पूजा करनी चाहिए यह समझाते हुए पूज्यपाद शंकराचार्य जी ने कहा कि जिसका आचरण विमल यानि उत्तम होता है उसी की हमें पूजा करनी चाहिए। दुखी के दुख को देखकर जो आगे न बढ़ सके उसे दयालु कहते हैं और जो दुख के बारे में सोचकर ही दुखी हो जाए उसे कारुणिक या करूणामय कहते हैं।
उन्होंने समस्या क्या है यह समझाते हुए बताया कि शरीर की समस्या संसार में समस्या नहीं होती। हमारे लिए कोई भी समस्या समस्या तब तक है जब तक हम उसे जान नहीं लेते। जिस चीज को हम जान नहीं लेते तब तक हमारे लिए खतरा है जानने के बाद कुछ नहीं। यदि हमने संसार को जान लिया तो हमारे लिए कोई भी खतरा नहीं।
महाराजश्री ने पाप व पुण्य के बारे में बताते हुए कहा कि पाप कर्म का फल दुख है और पुण्य कर्म का फल सुख। गुरु के पास जाने से पाप कर्म रुक जाते हैं। गुरु कहते हैं पाप कर्म से तो हमने रोक लिया लेकिन जो पुण्य कर्म हैं उसे भी भोगने की इच्छा छोड़ देना और यदि शिष्य पुण्य कर्म को भोगने की लालसा छोड़ देगा तो उसका मन निर्मल होने लगेगा और उसमें असल ज्ञान की इच्छा जागृत हो जाएगी।
अपने 9 दिवसीय ज्योतिर्मठ प्रवास पर पधारे शंकराचार्य जी महाराज ने सत्संग में उक्त बातें कहीं । वहीं शिवानन्द उनियाल जी ने सपत्नीक पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज की चरणपादुका की पूजा की ।
सभा में ज्योतिर्मठ प्रभारी दंडी स्वामी प्रत्यक्चैतन्यमुकुंदानंद गिरी , अप्रमेयशिवसाक्षात्कृतानंदगिरी, श्रीनिधिरव्ययानंद सागर महाराज, विष्णुप्रियानन्द ब्रह्मचारी, नगरपालिका अध्यक्षा देवेश्वरी शाह , सुषमा डिमरी , शान्ति चौहान , शिवानन्द उनियाल, महिमानन्द उनियाल सहित अनेको भक्त उपस्थित रहे ।